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भारत में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर हुआ क्रैश, कम से 274 की मौत

अंग्रेजी के Boeing 787 Dreamliner crashes and explodes in India, killing at least 274 लेख का यह हिंदी अनुवाद 14 जून 2025 को प्रकाशित हुआ थाI

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान गुरुवार को दोपहर में क्रैश हो गया, जिसमें पैसेंजर और क्रू समेत 241 लोग मारे गए। इसके अलावा रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया है कि ज़मीन पर मौजूद 24 लोग भी इस हादसे में मारे गए हैं क्योंकि यह विमान टेक ऑफ़ के कुछ देर बाद ही एक घनी आबादी वाले इलाक़े में जा गिरा। इसमें एक मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है, जहां मेडिकल छात्र लंच के दौरान इकट्ठा थे।

गुरुवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के विमान के कुछ हिस्से भारत के अहमदाबाद में एक इमारत के ऊपर देखे जा सकते हैं, शुक्रवार, 13 जून, 2025। (एपी फ़ोटो/रफ़ीक मकबूल) [AP Photo/Rafiq Maqbool]

विमान में सवार लोगों में से सिर्फ़ एक बचे यात्री रमेश विश्वासकुमार किसी तरह विमान से कूद गए थे। वह इमर्जेंसी एक्ज़िट दरवाज़े के पास बैठे हुए थे। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में वह ट्रॉमा सेंटर में मनोचिकित्सकीय इलाज करा रहे हैं। मरने वालों में 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, सात पुर्तगाल के नागरिक और कनाडा का एक नागरिक और को-पॉयलट के अलावा केबिन क्रू के 10 सदस्य थे।

लंबी दूरी तय करने वाले इस विमान में एक लाख लीटर से अधिक ईंधन था और जब यह क्रैश हुआ तो यह पूरी तरह आग का गोला बन गया और इसका घना धुआं आसमान तक उठा। विमान का मुख्य हिस्सा यानी फ़्यूजलेज, जिस इमारत में यह क्रैश हुआ, वहां चारो ओर बिखर गया था। विमान का पिछला हिस्सा इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से में अटक गया। तस्वीरों में दिखा कि हादसे के शिकार लोगों को स्ट्रेचर पर ले जाया जा रहा था और फिर उन्हें एंबुलेंस से ले जाया गया। मोबाइल फ़ोन की क्लिप्स से पता चलता है कि पीड़ितों के शव पूरी तरह जल चुके थे, कुछ की तो पहचान मुश्किल थी, भीषण विस्फोट के बाद जो तस्वीरें सामने आईं, वह किसी युद्ध के मैदान जैसी थीं।

पिछले 50 साल से इस इलाक़े में रहने पाले 63 साल के नितिन जोशी ने रॉयटर्स को बताया, 'हम घर पर थे और हमने भारी आवाज़ सुनी, ऐसे लगा कि कोई बहुत बड़ा विस्फोट हुआ हो। इसके बाद हमें घना काला धुआं उठता दिखाई दिया, जिससे पूरा इलाक़ा ढंक गया था।'

मीडिया की तमाम रिपोर्टों में दिखाया गया कि पीड़ितों के परिजन अपने प्रियजनों की पहचान के लिए़ डीएनए सैंपल देने के लिए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के बाहर इकट्ठा हुए हैं।

एक तरफ़ जनता इस हादसे से अभी हिली हुई है, राजनीतिक नेता, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के अन्य नेताओं के चेहरे पर दुर्घटनास्थल और अस्पताल का दौरा करते हुए सहानुभूति और दर्द का खोखला भाव ही दिखा। अपनी इज्जत बचाने के लिए एयर इंडिया के मालिक टाटा ग्रुप ने हादसे में मारे गए हर व्यक्ति के परिजन को एक करोड़ रुपये मुआवज़ा देने का एलान किया और घायलों के इलाज का खर्च उठाने की बात कही जबकि हादसे में क्षतिग्रस्त बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के पुनर्निर्माण का वादा किया।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापू के अनुसार, भारत के एयरक्राफ़्ट एक्सिडेंट इनवेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) ने औपचारिक जांच शुरू कर दी है। ब्यूरो ने ये भी कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारी जांच में सहयोग के लिए जांचकर्ता भेज रहे हैं।

साल 2018 और 2019 में दो विमान दुर्घटनाओं के बाद से बोइंग जेटलाइनर से जुड़ा यह सबसे भीषण हादसा है। पहले के दो हादसे 737 मैक्स 8 विमान के साथ हुए थे जिनमें कुल 346 यात्री मारे गए थे। उसके बाद से ही बोइंग अपने विमानों के उत्पादन से जुड़ी कई जांचों का सामना कर रही है। इन जांच में पाया गया है कि बोइंग के शीर्ष अधिकारियों को पता था कि विमान में घातक ख़ामिया थीं, बावजूद उन्होंने विमान के उत्पादन और बिक्री को जारी रखने के दबाव बनाया।

कार्पोरेशनों और उन्हें बचाने वाली पूंजीवादी सरकारों के बीच मिलीभगत के एक और उदाहरण के रूप में बोइंग ने हाल ही में मुकदमे से बचने के लिए अमेरिकी न्याय विभाग के साथ एक समझौता कर लिया और मैक्स 8 विमान हादसे में मरने वाले हर व्यक्ति के लिए 13 लाख डॉलर (लगभग 11.16 करोड़ रुपये) भुगतान पर सहमत हुआ।

अहमदाबाद विमान क्रैश के ठीक ठीक कारण अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। बस शुरुआती बातचीत में विमान के फ़्लैप, लैंडिंग गियर, इंजन और उन कारणों पर चर्चा हो रही है जो विमान को ऊपर उठने के लिए ज़रूरी होते हैं। टेलीविज़न फ़ुटेज और विमान के कोण को कैमरे क़ैद करने वाली तस्वीरों में दिखता है कि एयरपोर्ट के पास क्रैश होने और आग के गोले में तब्दील होने से पहले पॉयलट ने विमान को उठाने की भरसक कोशिश की थी।

जो थोड़ी जानकारी पता चली है उसमें ये भी है कि पॉयलटों ने डिपार्चर के बाद ही 'मेडे' का संदेश जारी किया था और जानलेवा इमरजेंसी का संकेत दिया था लेकिन एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से आगे उनकी कोई बातचीत नहीं हो पाई। शुक्रवार को स्थानीय अधिकारियों ने पुष्टि की कि दुर्घटनाग्रस्त विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिए गए हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में एक एक्सपर्ट ने आशंका जताई कि हो सकता है कि 'दोनों इंजन फ़ेल' हो गए हों जोकि एक बहुत दुर्लभ घटना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या विमान का रैम एयर टर्बाइन (आरएटी), जोकि एक इमरजेंसी बैकअप होता है जो मुख्य इंजन के फ़ेल होने पर अपने आफ सक्रिय हो जाता है, वह ऑन हुआ था या नहीं। एक वरिष्ठ पॉयलट के हवाले से बीबीसी ने रेखांकित किया कि इस तरह का फ़ेल्योर 'ईंधन में मिलावट या ईंधन की नलियों के जाम' होने से हो सकता है और ईंधन में किसी प्रकार का ब्लॉकेज विमान के लिए ज़रूरी ईंधन की सप्लाई बंद कर देगा और इंजन बंद हो जाएगा।

हालांकि एयर सेफ़्टी एक्सपर्ट ने किसी भी नतीजे पर पहुंचने की जल्दबाज़ी के प्रति चेताया है। एक पूर्व एयरलाइन पॉयलट और एक कंसल्टिंग फ़र्म सेफ़्टी ऑपरेटिंग सिस्टम्स के चीफ़ एग्जीक्युटिव जॉन एम. कॉक्स ने बिज़नेस टुडे को बताया, 'इस वक़्त, अनुमान लगाना बहुत बहुत जल्दबाज़ी होगी. हमें पूरी बात पता नहीं लेकिन 787 में फ़्लाइट डेटा मॉनिटरिंग की बहुत व्यापक सुविधा होती है।' ज्ञात हो कि विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स रिकवर कर लिए गए हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, “विमानों और विमानन प्रणाली में कई अतिरिक्त सुविधाएं होती हैं, ताकि किसी एक समस्या के कारण होने वाली दुर्घटना को रोका जा सके।' इस वजह से विमान दुर्घटनाएं अक्सर कई तरह की समस्याएं एक साथ पैदा होने के कारण ही होती हैं और इसका पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच की ज़रूरत होती है।

हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि एयर इंडिया, मोदी सरकार और बोइंग, इस हादसे की ज़िम्मेदारी लेने से भागेंगे।

एयर इंडिया देश की सबसे बड़ी सरकारी एयरलाइन हुआ करती थी और उस दौरान उस पर 580 अरब रुपये का कर्ज़ था और संकट में चल रही थी। सभी सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देने के अभियान के हिस्से के तौर पर मोदी सरकार ने इस एयरलाइन को 2022 में औनेपौने दामों में टाटा ग्रुप को बेच दिया, जोकि भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है जिसके मालिक उद्योगपति रतन टाटा हुआ करते थे। पिछले साल ही इस ग्रुप ने एयर इंडिया और विस्तारा को एक में मिलाने यानी मर्जर का काम पूरा किया। विस्तारा इस ग्रुप का सिंगापुर एयरलाइंस के साथ ज्वाइंट वेंचर था।

एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक़, सरकारी नियंत्रण में रहते इस एयरलाइन ने दो घातक क्रैश का सामना किया था। साल 2010 में एयर इंडिया की उड़ान दुबई से दक्षिण भारत के मैंगलोर आ रही थी लेकिन लैंडिंग के दौरान विमान रनवे से आगे निकाल गया और खाई में गिर गया। इसमें सवार 166 में से 158 लोग मारे गए। साल 2020 में एयर इंडिया एक्सप्रेस, जोकि इसी एयरलाइन की सस्ती सेवा देने वाली सब्सीडियरी थी, वह दुबई से कोझिकोड़ आ रही थी लेकिन भारी बारिश की वजह से विमान रनवे पर फिसल गया और दो भागों में टूट गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई और 120 लोग घायल हो गए। दोनों ही हादसे पुराने बोइंग 737-800 विमान के साथ हुए।

बोइंग विमान से जुड़ी हालिया विमान दुर्घटनाओं को देखते हुए, गुरुवार के भयानक हादसे ने मैन्युफ़ैक्चरिंग गुणवत्ता और सेफ़्टी रेगुलेशन के पालन को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है। इन हादसों में लाताम एयरलाइंस के बोइंग 787-9 ड्रीमलाइन का नाक की सीध में नीचे गोता लगाने की घटना भी शामिल है, जिसमें 40 लोग घायल हो गए थे। यह घटना पिछले मार्च की है और विमान ऑस्ट्रेलिया से न्यूज़ीलैंड जा रहा था।

और हालांकि बोइंग 787 की पहली भीषण दुर्घटना है, लेकिन फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) ने बोइंग के रेंटन उत्पादन केंद्र और इसके प्रमुख आपूर्तिकर्ता स्पिरिट एयरोसिस्टम्स के अपने ऑडिट में खुलासा किया था कि क्वालिटी कंट्रोल के नियमों के पालन में 'कई गड़बड़ियों' के अलावा 'दर्जनों समस्याएं' थीं। बोइंग के 89 प्रोडक्ट में से 33 ऑडिट में फ़ेल रहे जबकि मानकों के पालन न करने के कथित तौर पर 97 मामले थे। जबकि एयरोसिस्टम्स 13 जांचों में से 7 में फ़ेल रहा, जिनमें एक था दरवाज़े की सील को चेक करने के लिए होटल के चाबी कार्ड का इस्तेमाल करना जोकि एक मकैनिकल ख़ामी थी। इसके अलावा 'लुब्रिकेंट के रूप में दरवाजे की सील पर डॉन साबुन लगाना' भी इन ख़ामियों में शामिल था।

अधिकांश ख़ामियों में पाया गया कि 'अधिकृत मैन्युफ़ैक्चरिंग प्रॉसेस, प्रक्रिया, या निर्देश' का इनमें पालन नहीं किया गया था। और गुणवत्ता नियंत्रण दस्तावेज़ीकरण से संबंधित समस्याएं भी थीं, जिन्हें एफ़एए द्वारा 'प्लांट फ्लोर हाइजीन' यानी सावधानी पूर्वक चेकिंग और उपकरण प्रबंधन जैसी समस्याओं के रूप में ज़िक्र किया गया था।

ये निष्कर्ष पूर्व गुणवत्ता प्रबंधक जॉन बार्नेट की “भयावह” सुरक्षा विफलताओं, “चीजों को छिपाने की संस्कृति” और बोइंग द्वारा “सुरक्षा पर लाभ को प्राथमिकता” देने के बारे में चेतावनियों की पुष्टि करते हैं। 1985 से 2017 तक बोइंग के लिए काम करने वाले बार्नेट ने बताया था कि फ़्लाइट कंट्रोल वायर को प्रभावित करने वाले धातु के टुकड़े थे और पाया था कि 787 ड्रीमलाइनर की आपातकालीन ऑक्सीजन प्रणालियों में से 25 प्रतिशत ठीक से काम नहीं कर रहे थे, उन्होंने दावा किया कि प्रबंधन ने कर्मचारियों पर “इन ख़ामियों को दर्ज न करने” और 'ख़ामी वाली सामग्रियों को लगाने' का दबाव डाला था।

बार्नेट उन दो बोइंग व्हिसलब्लोअर्स में से एक हैं, जो पिछले साल मिलिटरी कांट्रैक्टर के ख़िलाफ़ गवाही देने से पहले या सुनवाई के दौरान ही मृत पाए गए थे।

बोइंग से अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने के अपने निरंतर प्रयासों में, मोदी ने बार-बार एयरोस्पेस दिग्गज की प्रशंसा की है। 18 मार्च को भारत की यात्रा के दौरान, बोइंग के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट ब्रेंडन नेल्सन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हाल के सुधारों ने देश को बोइंग जैसी कंपनियों के लिए अत्यधिक 'आकर्षक स्थान' बना दिया है। नेल्सन ने भारत में कंपनी की भागीदारी को 'काफी बढ़ाने' की योजना का खुलासा किया, जिसमें 320 आपूर्तिकर्ताओं से मौजूदा 100 अरब रुपये (1.3 अरब डॉलर) से अपनी वार्षिक आय को बढ़ाना शामिल है। साथ ही, बोइंग को अगले दो सालों में भारतीय एयरलाइनों को हर महीने दो विमान देने की उम्मीद है।

अहमदाबाद विमान दुर्घटना के लिए आधिकारिक कारण चाहे जो भी निर्धारित किए जाएं, मोदी सरकार और बोइंग दोनों ही यात्री सुरक्षा को तरहीज देने की तुलना में कॉर्पोरेट हितों की रक्षा पर अधिक ध्यान दे रही हैं। यह ताज़ा दुर्घटना, एक बार फिर समाज के व्यापक समाजवादी परिवर्तन के हिस्से के रूप में निजी मुनाफ़े के बजाय मानव जीवन को प्राथमिकता देने के लिए एयरलाइन उद्योग के पूर्ण पुनर्गठन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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