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भारतीय प्रधानममंत्री का श्रीलंका दौरा आर्थिक और सैन्य संबंध मजबूत करेगा

यह हिंदी अनुवाद अंग्रेजी के Indian PM’s visit to Sri Lanka boosts economic and military ties मूल लेख का है, जो 11 अप्रैल को प्रकाशित हुआ थाI

चार से छह अप्रैल तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा, इन दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में एक बड़े बदलाव का संकेत है।

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के साथ (फोटो: एक्स/अनुरा कुमार दिसानायके) [Photo by X/Anura Kumara Dissanayake]

राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने मोदी को अपनी जनता विमुक्ति पेरामुना/नेशनल पीपुल्स पॉवर (जेवीपी/एनपीपी) की सरकार की ओर से नई दिल्ली के साथ पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया, जोकि अमेरिका का एक मुख्य रणनीतिक सहयोगी है जबकि उसी अमेरिका ने चीन के साथ आर्थिक और सैन्य टकराव में और तेज़ी ला दी है।

सितम्बर में दिसानायके के कार्यभार ग्रहण करने के बाद मोदी ऐसे पहले विदेशी नेता हैं जिन्होंने श्रीलंका का दौरा किया है। बीते दिसम्बर में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए नई दिल्ली को चुना था।

दक्षिणपंथी हिंदू बर्चस्ववादी मोदी का श्रीलंका में शानदार स्वागत किया गया। उनके लिए लाल कालीन बिछाई गई और 21 बंदूकों की सलामी दी गई और इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर श्रीलंकाई सशस्त्र बलों द्वारा उन्हें रस्मी तौर पर गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। दिसानायके ने विदेशी गणमान्यों को दिए जाने वाले श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'मित्र विभूषण' से मोदी को विभूषित किया।

मोदी के साथ एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी था, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी भी शामिल थे।

रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल इनफ़्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और व्यापार के क्षेत्र में रिश्तों को और मजबूत करने के लिए सात प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इस द्वीपीय देश के डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन, श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के विकास के लिए फ़ंड और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारतीय सहयता पर केंद्रित अन्य एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए।

जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पर 1966 में अपनी स्थापना के साथ ही भारत विरोधी कट्टरता के आरोप लगते रहे हैं। अपने दस्तावेजों में इसने बागान में काम करने वाले तमिल भाषी लाखों मज़दूरों को 'भारतीय विस्तारवाद' के एजेंट के रूप में ब्रांड किया है।

1980 के दशक में जेवीपी ने अलगाववादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) के ख़िलाफ़ कोलंबो सरकार की साम्प्रदायिक जंग का जमकर समर्थन किया था। इसने 1987 में भारतीय-श्रीलंका समझौते की निंदा की थी जिसके तहत द्वीप के उत्तर में एलटीटीई को निःशस्त्र करने के लिए भारतीय शांति सैनिकों को भेजा गया था। इसने इसे एक ऐसा विश्वासघात बताया जिसने देश को विभाजित कर दिया और एलटीटीई के ख़िलाफ़ एक फ़ासीवादी अभियान चलाया, राजनीतिक विरोधियों और इस आदेश का विरोध करने वाले वर्करों और नौजवानों की हत्या की गई।

बीते तीन दशकों में जेवीपी, महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बदलावों- वैश्वीकरण और सोवियत यूनियन के पतन के बीच एक बुर्जुआ तंत्र की पार्टी के रूप में विकसित हुई। इसने अमेरिका और अन्य साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ क़रीबी रिश्ते बनाए। जेवीपी/एनपीपी ने बड़े उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय पूंजी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ के नग्न खर्च कटौती कार्यक्रम को लागू करने का वादा कर पिछले साल ही सत्ता हासिल की थी।

स्वागत समारोह में बोलते हुए दिसानायके ने भारत के सिर्फ एक क्षेत्रीय ताक़त ही नहीं बल्कि एक 'विश्व शक्ति' के रूप में उभरने की खूब तारीफ़ की। उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी से हमारा पक्ष फिर से दोहराया है कि भारत की सुरक्षा को कमज़ोर करने के लिए श्रीलंका की भूमि को इस्तेमाल करने की किसी को इजाज़त नहीं दी जाएगी।“

मोदी ने इसका उत्साहपूर्वक स्वागत किया और एलान किया, “मैं मानता हूं कि हमारे रक्षा हित एक एक जैसे हैं...हमारी सुरक्षा स्वतंत्र है और आपस में जुड़ी हुई है।“ भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रति संवेदनशीलता के लिए उन्होंने दिसानायके का धन्यवाद किया।

दिसायनायके अपने पूर्ववर्ती, बदनाम अमेरिकी पिट्ठू रानिल विक्रमसिंघे, की विदेश नीति के नक्शे क़दम पर ही चल रहे हैं, जो जुलाई 2023 में भारत के दौरे पर गए थे और आर्थिक एवं रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने केलिए एक 'ज्वाइंट विज़न' समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मोदी और दिसानायके ने समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी कोशिशों को और बढ़ाने के मक़सद से एक रक्षा सहयोग समझौते को अंतिम रूप दिया। इस समझौते का असल मक़सद हिंद महासागर में चीन के प्रभाव पर अंकुश लगाने का था, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, ख़ुफ़िया जानकारियों का साझा किया जाना, ट्रेनिंग, क्षमता बढ़ाने वाले क़दम उठाना और उच्च स्तर पर जानकारियों के साझा किया जाना शामिल था।

पांच साल के रक्षा सहयोग समझौते को आगे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. मोदी और दिसानायके के बीच उच्च स्तरीय वार्ता के बाद शनिवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह दोनों देशों के बीच पहला आधिकारिक रक्षा समझौता है और 1987 के समझौते से भी गहरे सहयोग की बात करता है।

दोनों देशों ने हिंद महासागर में कोलंबो सिक्युरिटी कॉनक्लेव (सीएससी) और रक्षा सहयोग पर एक साथ काम करने पर सहमति दी। सीएसएस को अगस्त 2024 में शुरू किया गया था जब भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल कोलंबो के दौरे पर गए थे। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देसों में भारत, श्रीलंका, मॉरिशस और मालदीव हैं।

एक और प्रमुख समझौता हुआ है दक्षिण भारत के न्यू मदुरै से श्रीलंका के मन्नार के बीच 285 किलोमीटर लंबे हाई वोल्टेज कनेक्शन लिंक के निर्माण को लेकर, जो बिजली के व्यापार का ज़रिया बनेगा। इस लिंक में 50 किलोमीटर का हिस्सा समंदर के अंदर पाल्क स्ट्रेट के पास केबिल बिछाई जाएगी। इस परियोजना की लागत 340 से 430 मिलियन डॉलर है और इसके 2030 तक पूरा होने की मियाद तय की गई है।

इसके अलावा नई दिल्ली और कोलंबो ऊर्जा सहयोग को और बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। भारत के नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) और श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के बीच एक ज्वाइंट वेंचर समपूर सोलरपॉवर प्रोजेक्ट का मोदी और दिसानायके ने उद्घाटन किया।

पूर्वी श्रीलंका के एक रणनीतिक पोर्ट सिटी त्रिनकोमाली में एक एनर्जी हब विकसित करने के लिए भी भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। इस परियोजना में एक मल्टी प्रोडक्ट पाइपलाइन का निर्माण किया जाएगा जिसमें एक द्वितीय विश्व युद्ध के ज़माने के टैंक फ़ॉर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसका आंशिक संचालन इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा किया जाता है।

इसे 20वीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने रणनीतिक मक़सद के लिए बनवाया था और यह ऑयल फ़ॉर्म त्रिनकोमाली पोर्ट के पास ही स्थित है और एक महत्वपूर्ण भू रणनीतिक संपत्ति के रूप में यह दुनिया का सबसे गहरा प्राकृतिक बंदरगाह है।

इस समझौते से त्रिनकोमाली और आस पास के समुद्री क्षेत्र में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी, जिसे एक औद्योगिक हब और लॉजिस्टिक रसद केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है। अन्य बंदरगाहों पर रसद केंद्रों को उत्तर में कांकसथुरै में बनाया जाना है।

मोदी को अच्छी तरह पता है कि दिसानायके सरकार भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रही है और इसीलिए उन्होंने कोलंबो के राजनीतिक तंत्र के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए कई संकेत दिए थे। उन्होंने विदेशी कर्ज़दाताओं के साथ श्रीलंका के कर्ज के पुनर्गठन कार्यक्रम के तहत, श्रीलंका के 100 मिलियन डॉलर के कर्ज को भारत की ओर से दी जाने वाली मदद में बदलने की घोषणा की।

मोदी ने अनुराधापुरा में पवित्र श्री महा बोधि के मंदिर का भी दर्शन किया जोकि श्रीलंकाई बौद्धों में बहुत पवित्र पूजा स्थल माना जाता है। उन्होंने श्रीलंका के 9 प्रांतों और 25 ज़िलों में 5,000 धार्मिक संस्थाओं को सोलर पैनल की आपूर्ति किए जाने की भी घोषणा की।

मोदी का यह दौरा ऐसे समय हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हर देश पर 'रेसिप्रोकल टैरिफ़' का ऐलान किया, जिसमें श्रीलंका पर विशाल 44 प्रतिशत और भारत पर 27 प्रतिशत शुल्क लगाया। इसने चीन के साथ ख़ास तौर पर व्यापार युद्ध की शुरुआत कर दी है। हालांकि इसी सप्ताह उन्होंने बाकी देशों पर लगाए गए टैरिफ़ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है, लेकिन ट्रंप ने चीन पर 125 टैरिफ़ लगाकर नाटकीय तौर पर व्यापार युद्ध को और भड़का दिया और ये साफ़ कर दिया कि उनके प्रशासन के आर्थिक युद्ध और बढ़ते सैन्य टकराव के मुख्य निशाने पर चीन ही है, जिसमें भारत और श्रीलंका को ज़बरदस्ती घसीटा जा रहा है।

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